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दोस्तो अगर मनुष्य कि बात करे तो मनुष्य हमेशा से हि नई खोज के लिए तैयार रहता है | मनुष्य का स्वभाव गुण हि है कि कुछ नया उपकरण या नई मशीन खोजी जाये जिससे मनुष्य का जीवन और सुखमय और समाधानकारक हो | इसका नतीजा जो हम देखते है जो आज सारे एलेक्ट्रीकॅल और इलेक्ट्रोनिक मशीन मनुष्य ने खोजी है| ऐसे हि खोजी हुई माशिनोमे कुछ बदलाव, सुधारणा ( Improvement) करके और उसे मनुष्य जीवन के लिए लाभकारी और उपयोगी बनाते है और इसी सुधारणा (Improvement) को कॉम्पुटर कि पिढी (Generation of Computer) कहा जाता है |
अगर हम प्राचीन माशिनो कि बात करे तो चीन ने सबसे पहले अॅबकस जो १४ वी शताब्दी
मे बनाया था | उसके बाद सिम्पल अंकागानितीय क्रियाओ के लिये स्लाइड रूल आया और
उसके बाद पास्कल का जोडना और घटाना (Adding अंड Subtracting) मशीन आया जो गियर,
व्हील और सिलेंडरसे बनाया गया था और जो आयटम जोडके जोडना और घटाना (Adding अंड
Subtracting) कि क्रिया करता था |
बबेज का फरक और विश्लेषक इंजिन :
चार्ल्स बबेज को मॉडर्न कॉम्पुतेर्स का जनक भी कहा जाता है | क्योंकी चार्ल्स बबेज ज्यादा से ज्यादा विश्वसनीय (Accuracy) चाहते थे | इसीलिये उन्होने अपने माशिनो के गणना (Calculations) मे विश्वसनीयता लाने के लिये उन्होने अलग-अलग तरह के इंजिन बनाये जो अंकगणितीय संचालन (Opration) जैसे जोडना (Addition) करते थे| उसके बाद उन्होने विश्लेषक इंजिन (Analytical Engine) बनाया जो चार तरह के बेसिक गणितीय क्रिया करता था | अगस्ता एड्रा बायरन पहला प्रोग्रामर था जिसने चार्ल्स बबेज को बर्नोली नंबर्स कि गणना कसे करता है उसका प्लान बनाने के बारे मे सुझाव दिया | इसी प्लान को कॉम्पुटर का पहला प्रोग्राम माना गया है |
१९४१ मे एक छोटा
मॅकॅनिकल कॉम्पुटर झेड ३ कोन्राड के
द्वारा बनाया गया जिसमे बायनरी नंबर्स और पंच कार्ड का उपयोग डेटा लेन-देन के लिये
किया गया था | पर उसमे २ तरह कि कमिया थी १) उसकी गती बहुत कम थी २) वो बहुत हि
भारी, अविश्वसनीय और महंगा था | कॉम्पुटर कि सुरुवात हि सिम्पल गणना करनेवाले मशीन
से आज के जमाने के कॉम्पुटर पार आ रुकी है | हर एक नई कॉम्पुटर पिढी (Generation of Computer) के साथ कॉम्पुटर का आकार कम होता गया और उसकी
गती (Speed), शक्ती (Power) और स्मृती (मेमोरी) बढती गयी है और आजकाल तो कॉम्पुटर
हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण भाग बन गया है |
कॉम्पुटर पिढी (Generation of Computer) कावर्गीकरण पांच हिस्सो मे किया गया है |
पहली पिढी (First Generation of Computer) : (१९४६-१९५८) वेक्युम-ट्यूब :
१९४६ मे जे. पी. एकेर्त और जे. डब्ल्यू. मौची ने पहला यशस्वी कॉम्पुटर मशीन
बनाया जिसे एनियाक (ENIAC) कहते थे | एनियाक (ENIAC) का पूर्ण-प्रपत्र (Full –
Form ) “Electronic Numeric Integrated
and calculator” है |
इससे लाभ :
१.
ये कॉम्पुटर पिढी कि तरफ पहला कदम था जिसमे वेक्युम-ट्यूब कि खोज करके उसका
उपयोग करके कॉम्पुटर बनाया गया था|
२.
ये कॉम्पुटर संख्याओ कि गिनती मिलीसेकंद मे करता था |
इससे नुकसान :
१.
कॉम्पुटर पिढी का पहला कॉम्पुटर था लेकीन ये आकार मे बहोत बडा था | करीब-करीब
एक रूम मे समा जाये इतना बडा था |
२.
इस कॉम्पुटर के अंदर वेक्युम-ट्यूब का उपयोग किया गया था |
३.
इसकी जानकारी (Information) संग्रहित करने कि क्षमता बहुत कम थी |
४.
इस कॉम्पुटर का मूल्य बहोत हि ज्यादा था |
५.
ये कॉम्पुटर बडी मात्रा मे उर्जा कि खपत करती थी |
६.
इस कॉम्पुटर को रखरखाव कि बहोत आवश्यकता थी |
दुसरी पिढी (Second Generation of Computer) : (१९५९-१९६४) ट्रान्झीस्टर :
१९४७ बार्डीन, शाकली और बार्तीन ने ट्रान्झीस्टर को एटी अंड टी बेल लॅब मे
बनाया था | ट्रान्झीस्टर कि गती वेक्युम-ट्यूब कि तुलना मे अधिक थी|
इससे लाभ :
१. वेक्युम-ट्यूब कि जगह पे ट्रान्झीस्टर का उपयोग करने से कॉम्पुटर का आकार कम
हो गया था |
२. ट्रान्झीस्टर के कारण गती भी बढ गई थी |
३. इस कॉम्पुटर को जानकारी (Information) देने के लिये असेम्ब्ली भाषा और पंच
कार्ड का उपयोग किया जाता था |
४. इस कॉम्पुटर को उर्जा कि खपत बहोत कम
लगती थी और ज्यादा गर्मी भी पैदा नही करता था |
५. पहली पिढी कि कॉम्पुटर से इस कॉम्पुटर का मूल्य बहोत कम था |
इससे नुकसान :
१. विशिष्ट हेतू के लिये उपयोग किये जाते थे |
२. इन कॉम्पुतेर्स को नित्यरूप से रखरखाव कि जरुरत पडती थी |
३. इन कॉम्पुतेर्स के लिये वातानुकुलीत सिस्टम कि जरुरत पडती थी |
तिसरी पिढी (Third Generation of Computer) : (१९६५-१९७०) इंटेग्रेटेड सर्किट :
तिसरी पिढी के कॉम्पुटर मे बदलाव (Improvement) करके ट्रान्झीस्टर कि जगह पे
इंटेग्रेटेड चिप्स (Integrated Chips) का उपयोग किया गया जिसके कारण कॉम्पुटर कि
गती बढ गई और कॉम्पुटर का आकार भी कम हो गया |
इससे लाभ :
१. इंटेग्रेटेड चिप्स का उपयोग करने से कॉम्पुटर कि काम करने कि शक्ती व और गती
दोनो बढ गये |
२. इस कॉम्पुटर को जानकारी देने के लिये माउस और कीबोर्ड का उपयोग किया गया था |
३. इसकी जानकारी संग्रहित करने कि क्षमता मे भी बढोत्री हुई |
४. ये कॉम्पुटर पहले पिढीयो कि कॉम्पुटर कि तुलना मे सस्ते थे |
५. इन कॉम्पुटर कि गती अधिक होने के साथ साथ इनका काम विश्वसनीय था |
६. इन कॉम्पुटर के अंदर प्रचालन तंत्र (Oprating system) का उपयोग किया गया था|
इससे नुकसान :
१. इंटेग्रेटेड चिप्स को संभलना बहोत मुश्कील होता था |
२. इन कॉम्पुतेर्स के लिये वातानुकुलीत सिस्टम कि जरुरत पडती थी |
चौथी पिढी (Fourth Generation of Computer) : (१९७१-१९९०) मायक्रोप्रोसेसर :
ये कॉम्पुटर कि चौथी पिढी है जिसमे मायक्रोप्रोसेसर का उपयोग किया गया था |
पहला मायक्रोप्रोसेसर इंटेल ने १९७१ मे बना लिया था |
इससे लाभ :
१.
इस कॉम्पुटर मे मायक्रोप्रोसेसर के उपयोग किये जाने के कारण आकार मे छोटा हो
गया |
२.
इस कॉम्पुटर मे मायक्रोप्रोसेसर के उपयोग किये जाने के कारण इसकी गती भी बढ गई
|
३.
बहुत कम गर्मी पैदा करता था |
४.
इस कॉम्पुटर को ज्यादा रखरखाव कि जरुरत नही पडती थी |
५.
इस कॉम्पुटर मे कोई भी उच्च स्तरीय भाषा का उपयोग किया जा सकता था |
इससे नुकसान :
१.
मायक्रोप्रोसेसर बनाने के लिये उच्च technology कि जरुरत पडती थी |
२.
इन कॉम्पुतेर्स के लिये वातानुकुलीत सिस्टम कि जरुरत पडती थी |
पाचवी पिढी (Fifth Generation of Computer) : (१९९०- आजतक) :
इस पिढी के कॉम्पुटर के आकार के नुसार इन कॉम्पुटर का विभाजन चार हिस्सो मे
किया गया है |
१.
सुपर कॉम्पुटर
२.
मायक्रो कॉम्पुटर
३.
मिनी कॉम्पुटर
४.
मेनफ्रेम कॉम्पुटर
इससे लाभ :
१. इस तरह के कॉम्पुटर गती से काम करते है और इनकी विश्वसनीयता भी अच्छी होती है|
२. इस तरह के कॉम्पुटर अलग-अलग आकार मे उनकी अनोखी खासियत के साथ उपलब्ध है|
इससे नुकसान :
१.
इस तरह के कॉम्पुटर मनुष्य के मस्तिष्क को सुस्त और इन्सान को आलसी बनाते है |
1 टिप्पणियाँ:
Click here for टिप्पणियाँComplete all the generation with images and videos very nice
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